भारतीय रेल द्वारा सामान्य गेज नीति के अनुसार अधिकतर मीटर गेज और नैरो गेज को परिवर्तित कर ब्रॉड गेज किया गया है।
हालांकि आज भी कम से कम 2000 किलोमीटर तक का नैरो गेज सेक्शन उपलब्ध है और छोटी लाइन का आकर्षण और रोमांस अभी भी कायम है। ऐसा ही एक आकर्षण तत्कालिन गायकवाड़ बड़ौदा राज्य रेलवे की सबसे पुराना नैरो गेज लाइन है।
प्रतापनगर-विश्वामित्री सेक्सन, जो 51.25 किमी. के प्रतापनगर-जम्बुसर सेक्शन का हिस्सा है और यह 1881 में प्रारंभ किया गया था। इस सेक्सन का गेज 762 एम एम या 2 फीट 6 इंच है। प्रारंभिक संचालन इस सेक्शन का भाप इंजन द्वारा किया गया जिनको 1990 के दशक में खत्म कर डीजल इंजन द्वारा परिवर्तित किया गया। इस सेक्सन का विरासत मूल्य पश्चिम रेलवे के वडोदरा मंडल द्वारा स्थापित किया गया है और प्रतापनगर रेलवे स्टेशन के बाहर एक विरासत म्युजियम और पार्क बनाया गया है जो कि आम जनता के लिए खुला हुआ है। पास ही प्रतापनगर
रेलवे कारखाना भी है जिसके प्रवेश द्वार के पास एक नैरो गेज डिब्बा और एैतिहासिक artifacts प्रदर्शित किए गए है। पर्यटकों को कोशिश करके कारखाने को भी देखने की अनुमति प्राप्त करनी चाहिए जिससे कि वह इस सुनहरी पूरानी वस्तु को देखने से वंचित न रह जाऍं।
रेलवे के उत्साही प्रशंसको के लिए तथा रेलवे के कर्मचारियों के लिए इस सेक्सन के परिचालन से काफी कुछ सीखने को मिल सकता है। इस सेक्सन का परिचालन ZDM5 (Narrow gauge, Diesel, Mixed use) लोकोमोटिव के द्वारा किया जाता है तथा रख रखाव प्रतापनगर डीजल शेड में किया जाता है जो स्टेशन के नजदीक है। ZDM5 B’-B’ तकनीक का लोकोमोटिव है जिसका तात्पर्य है कि इसकी हर बोगी में दो एक्सल है जो जुड़े हुए है। जिनका संचालन एक कार्डन साफ्ट द्वारा किया गया है। इस लोकोमोटिव का इंजन 450 हॉर्स पावर 1900 आरपीएम पर उत्पादन करता है। इस पावर को चक्के तक Voith hydraulic संचालन तथा कार्डन साफ्ट द्वारा किया जाता है। सीएलडब्ल्यू ने 1980 के दशक में ऐसे 41 इंजन बनाए थे जो कि 6 टन एक्सल लोड पर तीव्र गति प्रदान करने के लिए विासित किए गए थे। इस इंजन का वजन 23 टन है (5.5 टन एक्सल लोड) और अधिकतम गति 50 किमी है। इस सेक्सन पर वर्तमान में गति सीमा 25 किमी प्रति धंटा निर्धारित की गयी है। यह 6 सलेंडर, 4 स्ट्रोक लोको में क्रिलोस्कर KTA-1150 L इंजन लगया गया है और इन लोको का नंबर 501 से चालु होता है। इस लोको में एक EXHAUSTER और एक कंप्रेशर लगाया गया है जिससे कि लोकोमोटिव में एयर ब्रेक तथा गाड़ी में वैक्युम ब्रेक लगाया जा सके। इस इंजन में इंधन की क्षमता 350 लीटर है और चार कोच की गाड़ी को खींचने के लिए तकरीबन 100 लीटर डीजल प्रति फेरे की खपत है या एक लीटीर प्रति किलोमीटर।
इस सेक्शन पर गाडि़यां ‘’केवल एक ट्रेन’’ के सिस्टम से चलायी जाती है और ड्राईवर को एक टोकन दिया जाता है जो कि गाड़ी परिचालन के लिए प्राधिकृत है। बीच के सेक्शनों पर कोई स्टेशन स्टाफ नहीं है और टिकट की बिक्री गाड़ी के गार्ड द्वारा की जाती है जो कि पर्यटन के नजर से अनुठा अनुभव है। प्रति दिन करीब 1500 रुपए के टिकट गार्ड द्वारा बेचे जाते हैं। और गार्ड का डिब्बा एक चलता फिरता टिकट की दुकान है। स्टेशनों पर टिकट लेकर टिकट के ऊपर पंच किया जाता है परन्तु यहां पर गार्ड द्वारा एक रब्बर स्टाम्प द्वारा तारीख अंकित की जाती है। इस सेक्सन पर जो टिकट बेचे जाते हैं वे कार्ड बोर्ड के बने हैं जो कि विदेशी रेलवे पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक है। कुछ अन्य स्टेशनों में टिकट की बिक्री एक एजेंट के माध्यम से आउटसोर्स की गयी है। ट्रेन के चलने में कोई जल्दी नहीं रहती है और यदि लोग स्टेशन पर आने में लेट हो जाते हैं तो लोग ड्राईवर को इशारा कर रोकने के लिए अनुरोध करते हैं। जब ट्रेन स्टेशन से चली जाती है तो समस्त गतिविधि एकदम से खत्म सी हो जाती है। यह गाड़ी मानो अस सैक्शन की जीवनरेखा हैं।
जैसे ही गाड़ी प्रतापनगर से चलती है एक बडी लाईन पटरी असके साथ-साथ कुछ दूर विश्वामित्री स्टेशन तक चलती है। यात्री यहां बडी लार्इन की सेवा के लिए गाड़ी बदल सकते हैं। BG लाईन NG लाईन के उपर से जाती है। यह एक अजूबा दृश्य है कि BG और NG पटरियों को इतने पास से गुजरता देखना, परंतु यह कभी मिलती नही है। इस सेक्शन का एक और दृश्य हे गाड़ी पर TGM का चलना। यह गेटमेन गाड़ी पर सवार होता है और रास्ते में आने वाली 7 एलसी फाटक को चेन से बन्द करना है और गाड़ी को पास कराकर फिर से फाटक का चेन खोलकर यातायात सामान्य होने के पश्चात गाड़ी में पुन:आरूढ होना है। यह रेल द्वारा कार्यक्षम होने का एक प्रमाण है कि इससे 7 एलसी फाटकों के गेटमेन हटाकार TGM से यह कार्य कराया जा रहा है। कई फाटकों पर गाड़ी चालक गाड़ी को रोकता है, सीटी बजाकर आगे बढ जाता है।
इस सेक्शन में रेल प्रश्ंसक के लिए भी बहुत कुछ है। यात्रा के दौरान गाड़ी बहुत ही सुंदर परिदृश्य से गुजरती है। यह विश्वामित्रि नदी के उपर से भी गुजरती है। यदि किसी का दिन अच्छा हो तो नदी में एक-दो मगरमच्छ दिखाई दे जाऐंगे जो कि अपने स्वयं में ही एक अदभूत नजारा है। इस अविस्मरणीय यात्रा के दौरान अटलादरा स्थित प्रसिद्ध स्वामिनारायण मंदिर एवं भायली स्टेशन के सामने जैन मंदिर भी है। अटलादरा और भायली स्टेशन के बिच विश्व प्रसिद्ध प्रजापिता ब्रहमाकुारी विश्वविध्यालय का आश्रम भी आता है। गंतव्य स्थान जंबुसर के पास ही कावी शहर है जिसमें 400 वर्ष पूराना जैन मंदिर एवं श्री तंम्बेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन लाभ भी ले सकते हैं।
अंतत: जब भी आप वडोदरा आऍं तो कृपया प्रतापनगर से गाड़ी क्रमांक 52036 जिसका प्रस्थान समय 10 बजे है, में सवारी कर सायंकाल 1710 बजे तक उसी दिन लौट सकते हैं। इस रोमांचक यात्रा के दौरान पानी अवश्य साथ लेकर ही चले क्योंकि इस सेक्शन में पीने के पानी की किल्लत है।
सचिन्द्र मोहन शर्मा
सीनियर प्रोफेसर प्रबंधन
भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादेमी
One Response
Manohar Kabeer
Thank you for the wonderful article. Planning a visit to Pratapnagar next month. Got good tips and insights from your article. Hearty Thanks.